एक
कविता--
मंसूर
के नाम
by Dr. Sushil Fotedar
Anā
l-Haqq, Anā l-Haqq ;أنا
الحق, أنا
الحق
तत्त्वमसि,
तत्त्वमसि ;सोऽहं,
सोऽहं
"Kill me, my faithful friends,
For in my being killed is my life.
Love is that you remain standing
In front of your Beloved
When you are stripped of all your attributes;
Then His attributes become your qualities.
Between me and You, there is only me.
Take away the me, so only You remain."
__ Mansur al- Hallaj
!!توحید ،
توحید ، صرف
توحید
Tawheed, Tawheed, nothing
but Tawheed !!
अद्वैत,
अद्वैत, केवल
अद्वैत !!
Advaita, Advaita, nothing but Advaita !!
Monism, Monism, nothing but Monism !!
एक
कविता--
मंसूर
के नाम
अस्तित्व की
अनादि
गहराईयों में
चेतना की अनंत
ऊंचाईयां
मैं छूना
चाहता हूँ
मंसूर
मैं तुम्हारी
तरह
मर के जीना
चाहता हूँ
शास्त्रों का
टूटा -फूटा कवच
तोड़कर
विचारों की
चमड़ी उधेड़ना
चाहता हूँ
मैं पाना
चाहता हूँ
क्या यह संभव
है
क्या ऐसा होता
है
शब्दों के
चक्रव्यूह
में कहीं
उत्तरों की
खोज में मेरे
यह प्रश्न
घायल,
गिरे पड़े हैं
क्या यह संभव
है
क्या ऐसा होता
है
अस्तित्व की
अनादि
गहराईयों में
चेतना की अनंत
ऊंचाईयां
मैं छूना
चाहता हूँ
मंसूर
मैं तुम्हारी
तरह
मर के जीना
चाहता हूँ
|