चलो
कुछ ऐसा किया
जाए
by Dr. Sushil Fotedar
चलो
कुछ ऐसा किया
जाए
वक़्त की
गर्दिश को
ज़रा पलट सा
दिया जाए
हो सकता है
किन्ही भूली
यादों का
सिलसिला
फिर से शुरू हो
जाए
यार छूटे
घर मेरा खंडहर
भी हो चुका
पर उफ यह ज़ालिम
आस भी क्या है
उन्ही पुरानी
तस्वीरों में
रंग भरने का जी
अब भी करता है
लोग कहतें हैं
छोड़ चल आगे तो
बढ़
देख दुनिया
कितनी हसीन है
पर ज़िद तो
देखो मेरी
नादान
ख्वाहिशों की
उसी टूटे
आशियाँ की
दीवारों के
बीच
दोस्तों की
महफिलों में
कहकहे लगाने
का जी अब भी
करता है
शाम गुज़र
चुकी रात बस
आने को है
एक बात अब मेरी
तू मान ले रब
ले चल मुझे एक
बार फिर वहीं
अब उसी मिट्टी
को चूमके
ख़त्म होने का
जी भी करता है
चलो कुछ ऐसा
किया जाए
वक़्त की
गर्दिश को
ज़रा पलट सा
दिया जाए
हो सकता है
किन्ही भूली
यादों का
सिलसिला
फिर से शुरू हो
जाए
چلو کچھ ایسا
کیا جائے
چلو کچھ ایسا
کیا جائے
وقت کی گردش کو
ذرہ پلٹ سا دیا
جائے
ہو سکتا ہے
کنھی بھولی
یادوں کا
سلسلہ
پھر سے شرو ہو
جائے
یار چھوٹے
گھر میرا
خندھر بھی ہو
چکا
پر اف یہ ظالم
اس بھی کیا ہے
انہی پرانی
تصویروں مے
رنگ بھرنے کا
جی اب بھی کرتا
ہے
لوگ کہتے ہیں
چھوڈ چل آگے تو
بڑھ
دیکھ دنیا
کتنی حسین ہے
پر زد تو دیکھو
میری نادان
خواہشوں کی
اسی ٹوٹے
آشیاں کی
دیواروں کے
بیچ
دوستوں کی
محفلوں مے
کہکہے لگانے
کا جی اب بھی
کرتا ہے
شام گزر چکی
رات بس آنے کو
ہے
ایک بات اب
میری تو ماں لے
رب
لے چل مجھے ایک
بار پھر وہیں
اب اسی مٹی کو
چومکے
ختم ہونے کا جی
بھی کرتا ہے
چلو کچھ ایسا
کیا جائے
وقت کی گردش کو
ذرہ پلٹ سا دیا
جائے
ہو سکتا ہے
کنھی بھولی
یادوں کا
سلسلہ
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